मेरा यार शिंदे बाबू...

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ओय शिंदे बाबू...आज तेरे जन्मदिन पर मन कर रहा है कि मैं तुझपर ढेर सारी बातें लिखूँ तुझे लिखू,तेरी बाते लिखूँ,तेरी यादे लिखूँ या फिर तेरी वो सरारते लिखूँ जो तू बचपन में स्कूल में किया करता था लेकिन कहाँ से शुरू करूँ? कुछ समझ में नही आ रहा कहने कोतो बहुत लेखक बना फिरता हूँ।एक दोस्त पर शब्द नही मिल रहे केसा लेखक हे तू दीप बाबू,बड़ा अजीब हेना हम दोनों बाबू हे।बात वही तो हे तुझे लिखने के लिए मेरी कलम भी सजदे कर रही है मेने मेरी कलम से कहा आरे थोडा रुख-रुख कर चल के उसे