कहानी /सुधा भार्गव आदमखोर “हा--–हा-- घबरा गए मुझे देखकर । हाँ !हाँ मैं आदमखोर हूँ । किसे –किसे मारोगे ?कुछ दिनों पहने एक हाथी को गोली मार दी थी । परसों एक चीते को फांसी की सजा सुना दी , और आज मुझ बाघ को कटघरे मेँ खड़ा कर दिया है । पर यह तो बताओ –हमारा कसूर क्या है ?” “कसूर !चार -चार मासूम बच्चों को गटक गए और पूछते हो कसूर क्या है ?”इंसान बोला। “तुम्हारे तीन चार कम हो गए तो बिलबिला उठे । हमारे बारे मेँ कभी सोचा ?अपनी भूख मिटाने ही को तो बस्ती मेँ