बैंगन - 40 - (अंतिम भाग)

  • 6.7k
  • 1.7k

मैं पहले कभी इस तरह नहीं रोया था। मेरे आंसू लगातार इतनी देर तक कभी नहीं बहे। लेकिन अब परिस्थिति ही ऐसी थी कि और कोई चारा नहीं था। मैं पुलिस हिरासत में था। वैसे मुझे पूरा यकीन था कि भाई वकील को लेकर जिस तरह भागदौड़ कर रहा था, उससे जल्दी ही वो मेरी ज़मानत करवा देगा और मुझे इस जीवन- घोंटू वातावरण से छुड़ा कर ले जाएगा। भाई जब हिरासत में मुझसे मिलने आया तब उसने मुझसे ऐसा कहा भी था। और भाई जो कहता था वो करता था। वह धीर - गंभीर और अपने में ही रमा