प्रेम की भावना (अंतिम भाग)

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भावना के जाने के दो महीने बाद सुधा ने जुड़वा बच्चो को जन्म दिया। एक बेटा और एक बेटी। सबका बड़ा मन रहा घर मे पूजा-पाठ हो जाये..! मगर मेरा मन नही था। पर मम्मी कहने लगी,"छोटे स्तर पर ही रख लेते हैं प्रेम..!कन्याभोज करवा लेने दे..!!" मैं क्या कहता..? अपने दुख से सबको क्यों दुखी करु?? बच्चो के जन्म के तीन महीने और भावना के जाने के पांच महीने बाद बच्चो का नामकरन संस्कार हुआ..! तब तक दोनो के घर के नाम पड चुके थे। बेटे का नाम रखा "यथार्थ" और बेटी का ,"सृष्टि"...! ये नाम मुझे भावना ने