अपनी असफलता पर रानी जलकुम्भी का इस भाँति हँसना अम्बालिका को नहीं भाया और उसने क्रोधित होकर अम्बिका से कहा कि___ तुम्हें स्वर्णमहल पहुँचने में इतना बिलम्ब क्यों हुआ?तुम बिलम्ब ना करती तो वो नागरानी अपनी योजना मे सफल ना होती।। सुनो! अम्बालिका! मैं कोई तुम्हारी दासी नहीं हूँ जो तुम मुझसे ऐसा व्यवहार कर रही हो,तुम्हारी बड़ी बहन हूँ, तुम्हारे सभी षणयंत्र में तुम्हारे संग रहती हूँ तो इसका ये तात्पर्य नहीं है कि तुम मेरा कभी भी और किसी के भी समक्ष अपमान कर दोगी,ऐसा कहकर अम्बिका क्रोधित होकर वाटिका से चली गई।। ये सब