चन्द्र-प्रभा--भाग(१६)

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नागदेवता और नागरानी आज अत्यधिक प्रसन्न थे क्योंकि नागरानी ये देखकर आई थी कि सूर्यप्रभा सुरक्षित है और रानी जलकुम्भी भी उसके संग है, दोनों को आत्मसंतुष्टि का अनुभव हो रहा था,दोनों ही वार्तालाप करते करते सो गए, परन्तु उधर अम्बालिका अपनी हार को भला कैसे सहन कर सकती थी,वो तो शीशमहल से इसलिए निकली थी कि नागदेवता और नागरानी को हानि पहुँचा सकें।। वो वहीं एक टीले के पीछे छिपकर बैठ गई क्योंकि भोर होने मे अब और अधिक समय नहीं रह गया था एवं ये उसे ज्ञात था कि पूजा अर्चना के समय नागदेवता और नगरानी दोनों