चन्द्र-प्रभा--भाग(८)

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सोनमयी की सुन्दरता को देखकर सहस्त्रबाहु की आंखें चौंधिया गई,इतनी सुन्दर युवती उसने पहले कभी नहीं देखी थी, इतनी सौम्यता और साथ में इतनी निडरता, उसने पहली बार किसी युवती में देखी थी।। क्षमा कीजिए,राजकुमार भालचन्द्र! मेरे कारण आप आहत हुए,भूलवश मैने आप पर खंजर से प्रहार किया,सोनमयी राजकुमार भालचन्द्र से बोली।। कोई बात नहीं बहन!जैसे हमने आपको शत्रु समझ लिया,उसी प्रकार आपने भी हमें शत्रु समझ लिया,भालचन्द्र ने सोनमयी से कहा।। आपने मुझे बहन कहा हैं तो इस बहन को भी अपना कर्तव्य निभाने दीजिए,पास ही मेरी झोपड़ी है, चलकर वहाँ विश्राम कीजिए और बाबा आपका