चन्द्र-प्रभा--भाग(५)

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गौरीशंकर के मस्तिष्क में अब केवल एक ही विचार चल रहा था कि उसे राजा अपारशक्ति को किसी भी प्रकार अपने मार्ग से हटाना हैं और इसके लिए उसे कुछ भी करना स्वीकार था,उसके विचार इतने घृणित और दूषित हो चुके थे कि वो कुछ भी सकारात्मक सोचना ही नहीं चाहता था।। गौरीशंकर ने अपनी योजना को सफल बनाने के लिए महल में जाना प्रारम्भ कर दिया,उसने महल मे सबके साथ अच्छा व्यवहार बना लिया एवं राजा अपारशक्ति से भी कुछ दिनों मे ही निकटता बढ़ा ली,अब अपारशक्ति और महल के और भी सदस्यों का गौरीशंकर विश्वासपात्र बन गया,राजा