पुरोहित विभूतिनाथ जी ने अपने पुत्र गौरीशंकर को मंदिर मे पूजा-अर्चना हेतु मंदिर मे पुरोहित के पद पर नियुक्त कर दिया एवं स्वयं राजा अपारशक्ति के महल में राजा के निकट रहने लगें।। प्रतिदिन की भांति रानी जलकुंभी उस दिन भी स्नान करके अपनी दासियों के साथ मन्दिर पहुंची, नए पुरोहित को देखकर थोड़ा ठिठकीं और अपनी दासियों से पूछा ये व्यक्ति कौन हैं, तनिक इनसे पूछो।। तभी सुभागी ने आगे जाकर उस नवयुवक से पूछा___ महाशय!आप कौन हैं एवं इस मन्दिर में क्या कर रहे हैं? जी!मुझे इस मन्दिर मे नए पुरोहित के पद पर नियुक्त किया