भेदभाव...

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"और बताओ राजू की अम्मा,कैसी कट रही है ? अरे अब तो तुम कभी बाहर चबूतरे पर बैठी दिखाई ही नहीं देती हो ! वैसे होता तो ये है कि बहू के घर में आ जाने से सासों का घूमना-फिरना ज्यादा बढ़ जाता है मगर तुम्हारे मामले में तो लगता है कि उल्टी गंगा ही बह रही है ?" मोहल्ले की सबसे कुशल तथा स्त्री-सुलभ लक्षणों की माला के हर एक मोती को बड़ी ही कसावट के साथ सुसज्जित किये हुए कलावती बहन जी ने बड़ा ही स्नेह दिखाते हुए एवं संदेहभरी नज़रें या कह लो कि घूरते या टटोलते