सिगरेट पी ओ होश से

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कोई आदमी सिगरेट पी रहा है।अक्सर आदमी अपनी आदत से सिगरेट पीता हे।आदत से मजबूर होता है।उसे पता ही नही चलता कब हाथ जेब में चला गया , कब जेब से बाहर आ गया , कब सिगरेट बाहर निकल गई, कब माचिस जल गई , कब मु पे लग गई और धुआं अंदर बाहर होने लगा। गुम सांढ की तरह पीते चला जाता है। कुछ होश ही नहीं होता है।सब अपने आप होने लगता है। उनको तो पता ही नही होता ही की मेने सिगरेट पीना चालू कर दिया ही और धुआं अंदर बाहर करना शुरू कर दिया है।जब जेब