अनोखी दुल्हन - ( मौत का सौदागर_२) 14

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आजका पुरा दिन बस खत्म होने ही वाला था। ८ बजने वाले थे, उसने अब तक वीर प्रताप को नहीं बुलाया था। यमदूत के जाने भर से ही हाथो मे किताब थामे वो उसके बुलावे का इंतजार कर रहा था। " क्या करू ? क्या करू?" वीर प्रताप ने सोचा। " रुको में भला उस लड़की का इंतजार क्यों कर रहा हूं??? कही इंसानों के साथ रहते रहते में पागल तो नहीं हो गया।" वो अपनी जगह से उठा और टहलने लगा ताकि वो जूही को अपने दिमाग से निकाल सके।अपने होटल की नौकरी खत्म कर जूही, एक बगीचे मे बैठी।