कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 59)

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शोभा जी ने प्रशांत से कहा और अर्पिता के सर पर हाथ रखते हुए बोली,अब तुम न ही चरित्रहीन ही और न ही बदचलन!अब बस इस परिवार की बहू हो।जिसका मान सम्मान अब तुमसे जुड़ चुका है अब से तुम्हारे द्वारा चला गया हर कदम तुम्हारे व्यक्तिगत जीवन के साथ हमारे परिवार को भी प्रभावित करेगा जी ताईजी हम पूरा ध्यान रखेंगे अर्पिता ने कहा। प्रशांत इसे घर ठहरा देना मैं इसका समान भिजवाती हूँ जब बारात निकले तब इसे साथ ले आना।लेकिन घर के अंदर नही बाहर!ग्रह प्रवेश होने पर ही मैं इसे अंदर ले कर जाउंगी। समझ गये