सौन्दर्य के उपादान

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सौन्दर्य के उपादान( अ ) विषयगत सौन्दर्य ( ब ) विषयीगत सौन्दर्य विषयगत सौन्दर्य ' क्षणे - क्षणे यन्नवतामुपैति ' तदैव रूपं रमणीयतायाः ।। वास्तविक सौन्दर्य वही है जो प्रतिक्षण नया ही लगता है । इस विचारधारा के विद्वान सौन्दर्य को नित्य नवीन तथा विषयगत स्वीकार करते है । उनके अनुसार सौन्दर्य वस्तुपरक गुण है । वास्तव में वस्तु सौन्दर्य ( रूप ) को ही मानव - मन को आकृष्ट करने वाला ( रिझावनहार ) कहा गया है । आचार्य आनन्दवर्धन अपने ध्वन्यालोक में ध्वनि के प्रसंग में कहते है कि ' महाकवियों की वाणी में ध्वनि ऐसी शोभित होती है , जिस प्रकार यह