शालू का घर आ जाता है और फिर वो लिफ्ट तक जाते हुए सोचती है क्या सोमू को फोन करूं? फिर अपने विरान से फ्लैट का दरवाज़ा खोलती हैं। अकेलापन उसे काटने को दौड़ता हो।पर हर रोज तो ऐसे ही रहता है मेरा पर आज ऐसा क्यों लग रहा है।एक उदासी के साथ सोचते हुए बैग रख कर फे्श होने जाती है।एक बार फिर उस सूट को देखती है। और आईने में अपने उलझे हुए बालों को संवारती है और सोचती है क्या मैंने सोमू को सच छुप कर सही किया?फिर शालू बेड पर लेट कर मोबाइल देखती है। और एकाएक अपना