आधार - 13 - निष्पाप व्यक्तित्व, जीवन का आधार है।

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निष्पाप व्यक्तित्व,जीवन का आधार है।पाप कर्म, मानव जीवन की एक ऐसी भूल है, जो उसके व्यक्तित्व को सदा के लिए कलंकित कर देता है। यह मानव जीवन में एक कोढ की तरह लगकर उसके आचरण, व्यवहार और सदचरित्र को दूषित कर देता है। पाप कर्म से प्रभावित मनुष्य कुछ समय तक तो समाज को भ्रमित कर अपनी छवि को एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करने में सफल हो सकता है। परंतु इस आवरण के हटते ही ऐसे मनुष्य कुंठित और परिष्कृत जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। समाज ऐसे व्यक्तियों को हेय दृष्टि से देखने