ममता की छांव

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ममता की की छांव में पले बढ़े ।मां ने लाड़ प्यार से पाल मै आज्ञाकारी थी सबकी तो लाडली बन गई।नानी के संग खेला करती , खूब उछल कूद मचाती।नानी प्यार से मुझे अलबेली पुकारती नानी का प्यार बड़ा निराला और मेरा मन बन जाता मतवाला।नानी के संग बाबा धाम देवघर की यात्रा पर निकली फिर शिव गंगा में नानी ने मुझे स्नान करवाया मैं पापा के साथ भागवत लिखा करतीऔर देवी कवचों को भी लिखती।पापा मुझे दुर्गा सप्तशती सुनाते पूछते समझ में आया।अब मैं मां से अंग्रेजी पढतीऔर पापा से व्याकरण सीखती शुरु हुआ सिलसिला