प्रेम की भावना (भाग-5)

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उस दिन भावना ने पहली बार मुझसे कुछ मांगा था । इंकार करने का तो सवाल ही नही था । मेरी जान अगर जान भी मांग लेती तो दे देता। मैंने भावना की आंखों से बह रहे आंसूओ को अपने दोनो हाथों से पोंछते हुए उससे पूछा, "बोलो, क्या चाहिए..? अगर मेरे वश में हुआ तो जरूर दे दूंगा।" भावना बोली, "आप दूसरी शादी कर लीजिए प्रेम जी..!" भावना ये मांगने वाली है इसकी तो उम्मीद मुझे कभी सपने में भी ना थी। इससे तो अच्छा भावना मेरी जान ही मांग लेती। अगर मुझे इसकी थोड़ी भी भनक लगी होती