मेरे शब्द मेरी पहचान - 2

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मेरी पहली कविता जो माँ पे थी ---- माँ ----एक माँ दोस्त का , बहन का सबका फर्ज निभाती है,फिर भी क्यो दुखी रह जाती है।अपना दुख भुला के अपने बच्चों के साथ घुल मिलजाती है,कभी माँ बनकर डाटती है तो कभी बहन बनकर हँसाती है।अपने बच्चों को सब कुछ देकर उनका पेट भरती है,मगर खुद कुछ खाए बिना हीउनकी खुशी से अपना पेट भर लेती है।कभी अपना दुख भूल के अपने बच्चों के साथ खुश होती है,तो कभी अपनी खुशी भुला के अपने बच्चों के साथ दुखी होती है,तभी तो हर पल, हर क्षण, हर जगह माँ ही याद आती है।।माँ ही याद आती है।।-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×----