एक अजनबी से मुलाकात - 2

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जीसको हम चाहते हैओ कहा मिलता हैजीस दिन से वो ये बोल कर गयी थीकी कल मिलते है उसके बाद से उसका कालअभी तक आया ही नाहिमे तो आज भी उसका हर शामइंतेज़ार करता रहता तापर ग़लती से भी टहलते हुएउसे अपने सामने पया ही नाहिएक महीने हो गए थे ौरउससे मेरी ढंग से बात भी नहीं हुईमेस्सगे पे रिप्लाई उसके ना के बराबर ही थेओर कॉल करने की उसे मेरी हिम्मत नहीं थीउसे याद भी हु में की नाहिये सवाल भी मैं में कयी बार आता तएक आदत बना के अचानक सकयूं चले जाते है लोगजना ही होता है