वीर प्रताप खड़ा हुवा, उसने पीछे मुडकर देखा। जूही दूर से उसे देख रही थी। वीर प्रताप के इशारा करते ही वो उसके पास आ गई। " मैने तुम्हे होटल में ही रूकने के लिए कहा था ना ? यहां क्या कर रही हो ?" वीर प्रताप ने पूछा।" वहा बोर हो गई, तो सोचा तुम्हे ढूंढ लू। तुम यहां बरसी मना ने आए थे ? " पास मे लगी कब्रों की ओर देख जूही ने कहा।" हा । आज वही दिन है, जब हर बार मैने पहचान बदली है।" वीर प्रताप।" हम्मम।" जूही उन कब्रों के सामने हाथ जोड़ कर