मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय 11 उस दिन के बाद से माँ और पिताजी के बीच तनाव आ गया था । पिताजी का अहम उनको झुकने नहीं दे रहा था । माँ दोनों वक्त रोटी बनाती और चुपचाप थाली पिताजी के सामने रख देती । पिताजी चुपचाप रोटी खाते और काम पर चले जाते । माँ सारी रात मुझे आँचल में लिए रोती रहती । मैं उस दर्द को महसूस कर रही थी पर क्या करती ।कुछ करना चाहती थी ,पर एक दस महीने की बच्ची के मन की बात कौन सुनता । इसी माहौल में तीन