होली के रंग

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अमर चौबीस वर्षीय मस्त मौला गबरू जवान है। लंबी कदकाठी व कसरती काया के साथ शहरी रहन सहन का सलीका व शालीन व्यवहार उसकी छवि को और प्रभावशाली बनाते हैं। जो भी उससे कुछ समय बात कर लेता उसकी वाक्पटुता व उसकी समझदारी से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। उसके पिताजी कई साल पहले गाँव छोड़ कर रोजीरोटी की तलाश में मुम्बई के एक उपनगर में बस गए थे। अमर का जन्म और उसकी शिक्षादीक्षा सब मुम्बई में ही हुई थी। महानगरों का भी लोगों की सोच व उनकी जीवनशैली पर काफी प्रभाव पड़ता है। अमर भी इससे अछूता नहीं