मृगतृष्णा के पीछे परिमल की कार ने जब आलीशान बंगले के आहते में प्रवेश किया तो दरबान ने दौडकर सलामी देते हुए दरवाजा खोला । पल्लवी को न देखकर वह थोड़ा चौंका क्योंकि वह सदैव ही कार की आवाज सुनकर अपनी मधुर मोहनी मुस्कान के साथ वह बाहर आ जाती थी । शयनकक्ष में पल्लवी को चादर ओढ़े सोते देख अजीब आशंका से त्रस्त उसने पूछा,‘क्या बात है मैडम, तबियत तो ठीक है ।’ प्यार से वह उसे मैडम कहकर ही पुकारता