निस्वार्थ प्रेम में जीता हुआ इंसान का स्वरुप चित्रण एवम चाल चलन वा चारित्रिक अवकलन

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अरविंद सिंह, आज आप लोगों को कुछ अपने अंदर के विचारों एवं परिकल्पनाओं को आप सभी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं। तो चलिए शुरू करते हैं - इंसान जब जन्म लेता है तब वह अबोध रहता है। उसको जीवन के बारे में कुछ पता नहीं रहता। लेकिन जैसे जैसे वह बड़ा होता है। धीरे-धीरे उसको हर चीज का ज्ञान होता है। उसको हर रिश्ते की समझ होती है और वहां अपने जीवन में आगे बढ़ता है। बोलते हैं ना! निस्वार्थ भाव से किया गया प्रेम सच्चा प्रेम