प्रेम की भावना (भाग-1)

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मैं सुबह ऑफिस पहुंचा ही था कि पवन बाबू हाथों में एक लिफाफा लिए चले आ रहे थे।मैंने पूछा उनसे की, "किसका प्रेम पत्र लिए घूम रहे हो जनाब..??" तो उसने वो लिफाफा मेरे ही हाथ मे रख दिया और कहने लगा,"आपके लिए ही आया है जी ये प्रेम पत्र।पढ़कर सुनाइये तो ज़रा क्या लिख के भेजा है प्रेमपत्र भेजने वाले ने..।"मैंने लिफाफे को दोनो ओर पलट के देखा ना किसी का नाम ना पता ऐसा कौन करता है।मुझे असमंजस में देख पवन बोला ,"अरे...अपने पोस्टमैन गिरीश बाबू.. वही देकर गए हैं।तेरा ही नाम लिया विशेष रूप से कि तुझे