मां ! पराई हुई देहरी तेरी

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नीलम कुलश्रेष्ठ कमरे में पैर रखते ही पता नहीं क्यों दिल धक से रह जाता है । मम्मी के घर के मेरे कमरे में इतनी जल्दी सब कुछ बदल सकता है मैं सोच भी नहीं सकती थी ? कमरे में मेरी पसंद के क्रीम रंग की जगह हलका आसमानी रंग हो गया है ।पर्दे भी हरे रंग की जगह नीले रंग के लगा दिये गये हैं, जिन पर बड़े बड़े गुलाबी फूल बने हुए हैं । मैं अपना पलंग दरवाज़े के सामने वाली दीवार की तरफ़ रखना पसंद करती थी । अब भैया भाभी का दोहरा पलंग कुछ इस तरह