फाँसी के बाद - 9

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(9) “सुनिये कप्तान साहब !” – सीमा ज़रूरत से ज्यादा गंभीर होकर बोली – “वह ड्राइवर साहब मेरे मित्र हैं इसलिये मैं उनके विरुद्ध एक शब्द भी सुनना नहीं चाहती । उनके बारे में अगर आप पता लगाना चाहेंगे तो मैं आपको मना नहीं करूंगी, मगर आप उनके बारे में मुझ से कुछ भी नहीं मालूम कर सकते ।” “वह तुम्हारे कैसे मित्र हैं कि उन्होंने तुमसे बात करना भी पसंद नहीं किया...” हमीद ने चुभते हुए स्वर में कहा । “मैं इस पर किसी प्रकार की समालोचना नहीं कर सकती ।” इस मध्य बैरा आर्डर की चीजें लाकर रख