फाँसी के बाद - 8

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(8) नीचे पहुंचा तो प्रकाश की मोटर स्टार्ट हो चुकी थी और सीमा अपनी कार में बैठने जा रही थी । फिर जैसे ही दरवाजा खोलकर ड्राइविंग सीट पर बैठी वैसे ही हमीद उसके सामने आ गया । “ओह कैप्टन ! हल्लो ! माई गाड... इस समय अगर मैंने कुछ और मांगा होता तो मुझे मिल गया होता... मैं आप ही के बारे में सोच रही थी ।” “और मैं सारी दुनिया का चक्कर लगाकर यहां पहुंचा हूं ।” – हमीद ने मुंह बनाकर कहा – “आपने फोन के इंतज़ार में दिन सूख गया ।” “दिन सूख गया या आप