(5) आर्लेक्चनू में प्रतिदिन कोई न कोई स्पेशल प्रोग्राम रहता था । आर्लेक्चनू के व्यवस्थापक इस बात को अच्छी तरह समझ चुके थे कि एक ही प्रकार के प्रोग्राम से तीसरे चौथे दिन ही उक्ताहट महसूस होने लगती है । इसलिये वह दूसरे-तीसरे दिन प्रोग्राम बदलते रहते थे और इस परिवर्तन में भी इसका विचार रखते थे कि कल जो प्रोग्राम प्रस्तुत किया गया था, उसी प्रोग्राम को आज कुछ नवीनता के साथ प्रस्तुत किया जाये । आज भी डांस ही का प्रोग्राम था – मगर शर्त यह थी कि डांस वाले हाल में वही लोग दाखिल हो सकते थे