उम्मीदों की छाॅंव में....

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6 साल की श्रीजा , जिसे पूरा विश्वास है कि "अच्छे लोगो के साथ हमेशा अच्छा होता है।" ये कहानी श्रीजा के उसी विश्वास और जीवन की वास्तविकता के बीच की संजीदा पहेली है। समय खुद में इतना बलवान होता है कि भविष्य की योजनाओं और वास्तविकता को मिलाने में कोई ना कोई खेल जरूर खेलता है कभी उनकी कल्पनाओं को साकार रूप दे देता है तो कभी कल्पना को कल्पना के आकाशगंगा में ही छोड़ देता है। ये कहानी उसी उम्मीद, विश्वास और हकीकत के बीच तैरती दुनिया के नाम...