बैंगन - 27

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सहसा बैठे - बैठे कुछ दिन पहले की बात मुझे याद आई जब घर पर पत्नी ने मुझसे कहा था- ज़रा एक अख़बार का काग़ज़ तो लाकर पकड़ा दो मुझे, देखो तो ये मिसरानी भी कैसे गीले से कपड़े को लगाकर रोटी रख गई है कैसरोल में! मैंने लापरवाही से एक पुराना अख़बार लेकर उसे पकड़ा दिया। मैं सोच रहा था कि अब वो अपने नाटकीय अंदाज में कहेगी, थैंक यू जी थैंक यू! ये उसकी पुरानी आदत है। पहले तो कोई भी घटिया से घटिया काम बता देगी, फ़िर धन्यवाद देगी, मानो कोई कर्जा उतार रही हो। लेकिन ये