खौलते पानी का भंवर - 8 - चक्रव्यूह

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चक्रव्यूह आख़िर उसने तय कर लिया है कि अपने लिए अलग कमरे काम इन्तज़ाम वह अब कर ही लेगा. अपमान और घुटनभरी ऐसी ज़िंदगी अब और नहीं जी जाती उससे. अब और बर्दाश्त करना मुश्किल है. इस घर में रहकर जलने और कुढ़ने के सिवा वह और कुछ नहीं कर सकता. यहाँ अपनेआप को वह चाहे कितना भी बेइज़्ज़त क्यों न महसूस करता रहे, अपनी बेइज़्ज़ती के जवाब में एक लफ़्ज भी अपने जीजा जी को नहीं कह सकता. कुछ भी जवाब देने से पहले दीदी की सूरत उसकी आंखों के आगे घूमने लगती है और उसे जबरदस्ती अपनेआप को