सामाजिक बदलाव-खुली आँखों सूरज देखने का अनुभव

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खुली आँखों सूरज देखने का अनुभव प्रायः अपने वर्तमान समय की अपेक्षा, गुजरा हुआ समय अधिक अच्छा अधिक सुखद लगता है । कुछ तो स्थितियों की भिन्नता के कारण और कुछ इसलिए कि वर्तमान की भीषनता का अनुभव अधिक तीव्रता के साथ होता है । एक अनुभव से गुजर चुकने की स्थिति है, दूसरी अनुभव करते रहने की स्थिति है। व्यक्ति के जीवन के स्थान पर सामाजिक जीवन की आज के समय में समीक्षा की जाए तो यह स्पष्ट है कि हम पहले चाहे जैसी दशा में रहे हो पर हमारा समय बहुत जटिल और अराजक है । विडंबना यह