विश्वासघात--भाग(१२)

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लीला और विजय की खबर सुनकर शक्तिसिंह जी की आँखों से आँसू बह निकलें, उनका मन व्याकुल हो उठा अपने नन्हें को देखने के लिए और उन्होंने प्रदीप से पूछा कि तुम कब मिले बेला से। जी रक्षाबंधन वाले दिन,मै और संदीप भइया बाजार घूमने गए थे,तभी उनका पर्स एक चोर ले कर भागकर रहा था,हम दोनों ने ही तो उस चोर को पकड़ा था,प्रदीप बोला।। अच्छा! तो इसका मतलब़ जब उस दिन हम सब बेला के साथ मंदिर गए थे तो हमारी मुलाकात वकील साहब से हुई थी,इसका मतलब़ है जो हमें मंदिर में मिला था वो