अंतिम पर्यटन

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मधु मेरी कॉलेज की सहपाठी, मेरी अभिन्न सहेली आज मेरे शहर, मेरे घर पर आ रही थी। मेरी खुशी को नापने का अगर कोई पैमाना होता तो शायद वह भी आज नाकामयाब हो जाता। मधु और मैंने नागपुर में साथ साथ ग्रेजुएशन किया था। वह मराठी माध्यम और मैं हिंदी माध्यम की छात्रा थी। हम दोनों के अपने अपने माध्यम के टॉपर होने के बावजूद भी हमारी दोस्ती कॉलेज में एक मिसाल थी। ग्रेजुएशन के बाद मेरा विवाह बनारस में और उसका चेन्नई (उस समय का मद्रास) में हो गया। उस जमाने में संपर्क के माध्यम आज की तरह शीघ्र