मेरी और तुम्हारी श्रद्धांजलि...

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चरण स्पर्श कर वह अपनी बड़ी-सी गाड़ी में बैठा और पलक झपकते ही नजरों से ओझल भी हो गया...। मेन गेट पर खड़े बुजुर्ग बस भाव शून्य हो थोड़ी देर वहां ठहरे रहे और फिर अपने कदमों को वापस उस बड़े से अहाते की ओर मोड़ लिया...। वह किसी खयाल में डूबे आगे बढ़ रहे थे कि एकदम से आवाज आई... ‘ शर्मा जी बेटा चला गया क्या? इस बार तो बहुत देर तक साथ रहे आप दोनों...।‘ ये कहते हुए शर्मा जी के ही हमउम्र आहलूवालिया जी पौधों को पानी देने लगे। न उन्हें जवाब सुनने की इच्छा थी