लोटन का शौचालय ( व्यंग्य )

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लोटन का शौचालय एक गाँव में एक बुजुर्ग रहते थे, नाम था लोटनलाल। पहले उनका भरा-पूरा परिवार था। फिर धीरे-धीरे सब साथ छोड़ते गए, कुछ मौत के कारण और कुछ लोग शहर की ओर दौड़ के कारण। आज लोटन छोटी-सी झोपड़ी में अकेले रहते हैं। दिन में एक पंप के सहारे हवा भरते तथा पंचर बना कर अपने पेट का जुगाड़ कर लेते हैं। अब लोटन खाते हैं तो जाना भी होता है। वे हमेशा ही लोटा लेकर निकल जाते हैं। सुबह शाम की सैर की सैर और काम का काम। एक दिन सुबह सूरज