स्नेह--(सम्पूर्ण भाग) अरी..ओ संयोगिता ... कहां मर गई,जरा इधर तो आ... चारपाई पर स्वेटर बुनते सुनते बसंती ने संयोगिता को आवाज दी।। आती हूं,मामी... संयोगिता ने रसोईघर से आवाज़ लगाई.. और संयोगिता भागी हुई सी रसोईघर से निकल कर बाहर आंगन में आई... क्या बात है मामी? आपने मुझे क्यो पुकारा..? संयोगिता ने डरते डरते मामी से पूछा!! शाम को तेरे मामा जी के दोस्त का बेटा आ रहा है,जरा ठीक से और अच्छा सा कुछ बना लेना,फौज में है,हमलोगो से मिलने आ रहा है, बहुत सालों के बाद हमारे घर आ रहा है,जब छोटा तब मिली थी उससे