अनोखी दुल्हन - ( वो नजर _२) 6

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वो समंदर के किनारे हाथो मे केक पकड़े बैठी हुई थी। " हा जानती हु। मैंने कहा था की कभी आपसे कुछ नही मांगुगी। पर अब मुझसे सब्र नहीं होता, आखिरकार कब आपको मेरी तकलीफ दिखाई नहीं देगी।" आसमान की तरफ देखते हुए जुहिने कहा। फिर अपनी जेब से माचिस निकाल उसने केक पर लगाई मोमबतिया जलाई। हाथ जोड़े आंखे बंद की और अपने पूरे दिल से भगवान को याद किया। " प्लीज़ मुझे बस तीन चीज़े चाहिए। एक अच्छी पार्ट टाइम जॉब, मौसी के घर से छुटकारा और एक प्रेमी। प्लीज मेरी दुवा कबूल कीजिए।" दूर कही गुलाब के खेतो