आदमखोर

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हमेशा की तरह दिसंबर आते ही मेरे कॉलेज में विंटर वेकेशन घोषित हो गई और मै अगले ही दिन गांव की तरफ निकल पड़ा.जीरो रोड डिपो से सुबह सात बजे की बस पकड़ी और एक बजे मै घर पर था. गांव की मिटटी में एक अजीब सी खुशबु होती है जो की तभी महसूस की जा सकती है जब आप बहुत दिनों बाद गाँव वापस आये हो. परमानेंट गांव में रहने वालो को ये खुशबु महसूस नहीं होती. बहुत दिनों बाद वापस घर आने का आनंद ही कुछ और होता जिसको शब्दो में बता पाना बहुत ही मुश्किल है। घर पर आते