बदलते रिश्ते (अंतिम भाग)

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""हां,"सालू दीर्घ निःस्वास छोड़ते हुए बोली,,"उसी प्यार का वास्ता देकर तुमसे कुछ मांगने आयी हूँ।""तुम्हारे लिए जान भी हाज़िर है।मांगो क्या मांगना है?""मेरे पति को मेरा तुमसे मिलना पसंद नही है,"सालू बोली,"तुम मुझे अपनी तो नही बना सके।लेकिन मेरे लिए इतना तो कर ही सकते हो ---"क्या?"सालू कहते हुए रुक गई तब महेश ने पूछा था।"भविष्य मे तुम मेरे से मिलने का प्रयास नही करोगे।अगर इत्तफाक से हमारा आमना सामना भी हो जाये तो अजनबी की तरह निकल जाओगे,"सालू अपनी बात कहते हुए रुओ पड़ी,"अगर तुमने ऐसा नही किया,तो मेरा दाम्पत्य जीवन तबाह हो जाएगा।""सालू तुम्हारी खुशी में ही मेरी