बंधी हुई मुट्ठी

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पेशे से मैं एक नर्स हूं। ऑपरेशन के लिए तैयार हो चुके मरीज को ओ.टी. (ऑपरेशन थिएटर) तक उसकी पहिएदार कुर्सी में लेकर जाती हूं। ऑपरेशन के समय डॉक्टरों की मदद के लिए ओ.टी. में उपस्थित रहती हूं और फिर ऑपरेशन के बाद रिकवरी रूम में मरीज को मैं ही पहुंचाती हूं और उसके साथ बैठती हूं। एनिस्थीसिया (बेहोशी) का प्रभाव जब मरीज पर खत्म होने को होता है तो उसकी सोच के अवरोध मंद पड़ जाते हैं और वह कई बार अपने गोपनशील मर्म प्रकट करने लगता है। बिना यह जाने वह क्या कह रहा है। वृद्धा आदर्श बाला