"नही सालू।मैं इतना स्वार्थी नही हूँ।सब कुछ जानते हुए मैं तुम्हे अभाव और दरिद्रता की जिंदगी जीने के लिए मजबूर नही करूँगा।"महेेेश की ना सुनकर सालू रोती हुई चली गई। महेश कितना बेबस था। सालू को कोई भी लड़का पत्नी बनााकर अपने भाग्य पर इतरा सकता था।वह कितना मजबूर था।एक लड़की अपना हाथ उसके हाथ मे देने के लिए तैैयार थी।लेकिन वह मजबूर था। काश वह सालू को अपनी पत्नी बना पाता।सालू नही चाहती थी फिर भी उसका रिश्ता सुरेश से पक्का हो गया।शादी से पहले वह डबडबाई आंखे लिए उसके पास आई थी।"महेश मैं तुम्हारे बिना नही