बाप दादा की इज्जत

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लघु कथायें 1. बाप दादा की इज्जत स्ुाबह जब सुदेश सोकर उठा तब पत्नी सरला अपनी रसोई के बरतनों को सम्बोधित करके कह रही थीं-‘अरे! महिनों से खाली पड़े हो। आज तुम्हारे भी बिकने का नम्बर आ गया है। तुम्हारे धैर्य की दाद देनी पड़ेगी। वे भी क्या करें, मेहनत मजूरी करने में बाप- दादों की इज्जत जाती है। अब जोर - जोर से मत बजो , नहीं तो वे कहेंगे सोने नहीं देती। यह सुनकर सुदेश में चेतना का संचार हुआ। वह उठा और निवृत होकर नगर के चौराहे पर काम पाने की