अधूरा इश्क

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आज फिर से वो दिखी थी, शायद दस साल बाद, नही उससे थोडा ज्यादा... उसका बदन पहले से थोडा सा भारी हो गया था..लेकिन चेहरे पर वही पुरानी मासूमियत मौजूद थी..जैसी स्कूल के दिनो मे होती थी। जब पहली बार उसे स्कूल मे देखा था तब भी उस पर नजर ठहर सी गयी थी और आज अर्से बाद इस चेहरे को देखा है तो कमबख्त नजर उससे हट ही नही रही है। करिशमा.. करिशमा शर्मा नाम था उसका... दोस्त लोग उसे खुशी कहते थे, और हम........हम तो कुछ कहते ही नही थे..क्योकी हमारी कभी बोलने की हिम्मत ही नही होती