एक तलाश

  • 7k
  • 1.8k

अन्नदा पाटनी सड़क के किनारे अपने सामान के साथ आरती खड़ी थी । किधर जाए, कुछ नहीं सूझ रहा था । आज अपना घर होता तो शायद यह स्थिति नहीं आती । इतने घर होते हुए भी कहने को उसका अपना एक भी घर नहीं था । वह सोचने को मजबूर हो गई । जन्म मिला माता पिता के घर। बहुत लाड़ प्यार से पली। हर इच्छा पूरी की जाती रही । उच्च शिक्षा मिली पर एक दिन ऐसा नहीं गया जब जन्म लेने के समय से अब तक अपने लिए ‘पराया धन’ न सुना हो । मन करता कि