शुभि

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एक चिड़िया आती है,चिव-चिव गीत सुनाती है, दो दिल्ली की बिल्ली है,देखो जाती दिल्ली है, तीन चूहे राजा है देखो बजाते बाजा है,चार घर में कार है,हम जाने को लाचार हैं।..... शुभि अपने कमरे में कविता बोल रही थी ,पहले वह धीरे-धीरे बोल रही थी फिर अचानक बोलते हुए रोने लगी ।दादी ऑगन में बैठकर विष्णु पुराण पढ़ रही थीं,उनका ध्यान शुभि की आवाज़ पर गया तो उन्हें चिंता हुई कि वह क्यों रो रही है ।दादी शुभि के कमरे में गई तो देखा शुभि खिलौनों के पास बैठे हुए रो रही है ।