बैंगन - 4

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( 4 ) अब मैं सचमुच बिफर पड़ा। मैंने बच्चों के सिर पर हाथ फेरा, भाभी को नमस्कार किया और फ़िर भाई की ओर कुछ गुस्से से देखते हुए मैं वाशरूम में चला गया और दरवाज़ा भीतर से बंद कर लिया। मैं मन ही मन तिलमिला रहा था कि यहां आने के बाद से हर कोई मुझसे बात- बात पर मज़ाक कर रहा है। स्टेशन पर भाई के आदमियों ने मज़ाक किया, यहां घर आकर ख़ुद भाई ने। मैंने मन में ठान लिया कि अब मैं भी इन सब लोगों को मज़ा चखाऊंगा। वाशरूम में बैठ जाऊंगा और चाहे जो