बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।

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मैंने प्रथम श्रेणी से कक्षा पाँच पास कर लिया था। मैं कक्षा छह की किताबं स्कूल बैग में पीठ पर लादकर स्कूल जाने लगी। कक्षा तीन पास करके मेरी यह आदत बन गई कि दुकानों पर लिखे हिन्दी के साइन बोर्ड पढ़ने लगी थी। अब की बार जब मैं स्कूल पहुँची तो स्कूल के सामने की दीवार पर बडे़-बड़े शब्दों में नारे लिखे थे - बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। बेटी पढ़ाने वाली बात तो मेरी समझ में आ गई थी किन्तु बेटी बचाओ वाली बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी। बेटी बचाओ का अर्थ बूझते हुए मैं अपनी